रूस ने ईरान को 12 हजार करोड़ का दिया फंड, अब रूस 45 दिन के बजाय 10 दिन में पहुँच सकेंगे | ईरान में बनेगा 160 किलोमीटर का लंबा रेलवे ट्रैक | भारत का रूस के साथ चार गुण बढ़ा व्यापार | विश्व में नए व्यापार के रास्ते से नए शहर होंगे विकसित |
पिछले एक साल से अधिक समय से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है | इसी युद्ध की वजह से यूरोपीय देशों नें रूस पर आर्थिक प्रकार के प्रतिबंध लगाए है | इन्हीं प्रतिबंधों के जवाब में रूस एक नया कॉरिडर बना रहा है, जिससे एशियन देशों में अपनी पहुँच को बनाने के लिए |
मुंबई – मॉस्को कॉरीडोर –
रूस ने हाल ही में ईरान को
12 हजार करोड़ का फंड देके, ईरान में 160 किलोमीटर का रेल मार्ग को विकसित किया जा
जाएगा | यह कॉरीडोर मुंबई से मास्को तक रहेगा | इसके बीच जीतने भी देश आ रहे है उन
सभी का इस प्रोजेक्ट्स से विकास होगा | रूस इस पूरे कॉरीडोर को 2028 तक कर देगा | यह
रेल का ट्रैक ईरान के शहर रास्त से अस्तारा के बीच होगा |
यह कॉरीडोर रूस के सेंट
पीतसबर्ग तक रहेगा | भारत को इस कॉरीडोर का पूर्ण फायदा मिलेगा | रूस के साथ भारत
के पुराने सम्बद्ध है और अभी भारत के रूस के साथ चार गुण व्यापार बढ़ा है |
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Mumbai to Moscow New Corridor |
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इन्टरनेशनल नॉर्थ – साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर प्रोजेक्ट से रूस को फायदा –
रूस को भारत और ईरान से “इन्टरनेशनल
नॉर्थ – साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर प्रोजेक्ट” में सहायता मिल रही है | सामान्यत:
अगर बात की जाए तो रूस को भारत से मशीनरी रही है, ईरान से हथियार, तुर्की और दूसरे
देशों से बाकी की आवश्यक चीज़े जो यूक्रेन के युद्ध में समय काम आती है | इसी वजह
से अब रूस ने नये कॉरीडोर में अपनी ताकत को लगायी है |
रूस के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में पहुँचने के लिए पुराने रूट से 45 दिन लगते है, इस कॉरीडोर के तैयार होने पर कुल 10 दिन लगेंगे | स्वेज नहर में हुती विद्रोहियों का हर समय खतरा रहता था, इन सही से निजात के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत ही लाभदायक रहेगा |
इन्टरनेशनल नॉर्थ – साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर प्रोजेक्ट के प्रमुख देश –
मुंबई – मॉस्को कॉरिडर में भारत,
ईरान, अजरबैजान, तुर्की प्रमुख देश आते है | इन्ही देशों में रूस अपने संबद्धों को
बढ़ावा दे रह है | अजरबेजान में इस साल में ही रेलवे ट्रैक और यार्ड का काम पूरा
होने की संभावना है | यह कॉरीडोर कुल 7,200 किलोमीटर लंबा है | एशियन देशों में
रूस अपने व्यापार को कम समय और कम लागत में पहुंचना चाहता है |
इस कॉरीडोर के महत्वपूर्ण
शहरों में मुंबई, पोर्ट अब्बास, तेहरान, रास्त, अस्तारा, बाकू, अस्त्राखाना, मॉस्को,
सेंट पीटर्सबर्ग है | इन्ही शहरों से रूस अपना व्यापार एशियन देशों तक पहुंचाएगा |
यह कॉरीडोर अमेरिका और युरोपियन देशों के प्रतिबंध के जवाब में बनाया जा रहा है |
भारत – रूस का व्यापार –
मुंबई – मॉस्को कॉरीडोर के
बनने से भारत – रूस के व्यापार में चार चाँद लग जाएंगे | लेकिन हाल ही के वर्षों
में भारत – रूस का व्यापार चार गुना बढ़ा है | साल 2023 में भारत – रूस का व्यापार 5.37
लाख करोड़ था, जो 2021 की तुलना में चार गुना था | पिछले साल में यह व्यापार 20 लाख
करोड़ से अधिक था | इसी प्रकार नए कॉरीडोर से भारत – रूस के व्यापार में और तेजी
आएगी |
मुंबई – मॉस्को कॉरीडोर से संबधित प्रश्न –
किस देश के द्वारा मुंबई –
मॉस्को कॉरीडोर प्रोजेक्ट चर्चा में आया ?
रूस द्वारा इन्टरनेशनल नॉर्थ
– साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर प्रोजेक्ट में ईरान को 12 हजार करोड़ की सहायता की वजह
से चर्चा में आया |
रूस द्वारा इन्टरनेशनल नॉर्थ
– साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर प्रोजेक्ट को क्यों जारी किया है ?
रूस – यूक्रेन युद्ध में
अमेरिका और युरोपियन देशों ने कई प्रकार के रूस पर प्रतिबंध लगाए है, रूस ने इन
प्रतिबंदों से उभरने के लिए नए प्रोजेक्ट को लॉन्च किया है |
मुंबई – मॉस्को कॉरीडोर कब
तक पूरा होगा ?
इन्टरनेशनल नॉर्थ – साउथ
ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर प्रोजेक्ट में आने वाले देशों में काफी काम इस साल हो जाएगा,
लेकिन यह प्रोजेक्ट 2028 तक पूरा होगा |
इन्टरनेशनल नॉर्थ – साउथ
ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर प्रोजेक्ट के प्रमुख देश कौनसे है ?
मुंबई – मॉस्को कॉरीडोर में भारत,
ईरान, अजरबैजान, तुर्की और रूस महत्वपूर्ण देश है |
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