दो घंटे में फिल्म में नए जोड़े की शादी के बाद बच्चा पैदा हो कर बड़ा हो जाता है। असल में कहूं तो ये अपनी जिंदगी भी उस स्क्रीन पर चलती फिल्म ही है। सुख, दुख, दर्द, गम, तन्हाई, अपनों का प्यार, किसी से बिछड़ना, काम के लिए जाना जो भी होता है, अपनी जिंदगी में वो उस स्क्रीन पर दो-ढाई घंटे में दिखाया जाता है। सिनेमा आपका सिर्फ मनोरंजन नहीं देता, वो उसके साथ बहुत आने वाले को सिखाता है। अपन है कि दोस्तों के साथ या gf/bf के साथ फिल्म को मस्ती में देख रहे हैं, कुर्सी पर पास-पास बैठ कर, दोनों एक दूसरे के हाथ में पॉपकॉर्न खा रहे हैं। आपको पता नहीं चलेगा, जब दो-ढाई घंटे निकल गए। हॉल से बाहर आते ही कॉफी पीते हुए बैठ गए, सेल्फी ली, कुछ फोटो खींचे, अपलोड भी किए, शोक उलटा कि बातें करके हम घर आ गए। Instagram फेसबुक खुद कि स्थिति जाने ये समय तब अच्छा लगता है जब आपकी जेब में रुपए, आपके हो, आपके पिता के नहीं। आप अ...