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Self control - आत्म नियंत्रण

   


दो घंटे में फिल्म में नए जोड़े की शादी के बाद बच्चा पैदा हो कर बड़ा हो जाता है। असल में कहूं तो ये अपनी जिंदगी भी उस स्क्रीन पर चलती फिल्म ही है। 

                   सुख, दुख, दर्द, गम, तन्हाई, अपनों का प्यार, किसी से बिछड़ना, काम के लिए जाना जो भी होता है, अपनी जिंदगी में वो उस स्क्रीन पर दो-ढाई घंटे में दिखाया जाता है।

              सिनेमा आपका सिर्फ मनोरंजन नहीं देता, वो उसके साथ बहुत आने वाले को सिखाता है। अपन है कि दोस्तों के साथ या gf/bf के साथ फिल्म को मस्ती में देख रहे हैं, कुर्सी पर पास-पास बैठ कर, दोनों एक दूसरे के हाथ में पॉपकॉर्न खा रहे हैं। आपको पता नहीं चलेगा, जब दो-ढाई घंटे निकल गए। हॉल से बाहर आते ही कॉफी पीते हुए बैठ गए, सेल्फी ली, कुछ फोटो खींचे, अपलोड भी किए, शोक उलटा कि बातें करके हम घर आ गए।



खुद कि स्थिति जाने 


             ये समय तब अच्छा लगता है जब आपकी जेब में रुपए, आपके हो, आपके पिता के नहीं। आप अपने लक्ष्य पर पूर्ण रूप से लगे हो या अपना लक्ष्य पा लिया हो। नहीं तो जिस तरह ये दो - घंटे निकले हैं, वैसे फालतू से अपना समय कब बर्बाद हो जाएगा, आपको पता भी नहीं चलेगा। 

     
           उधर सिर्फ स्क्रीन पर दिख रहा दृश्य, आप हस रहे हैं, अच्छी बात है, वो किसी कि पर्सनल लाइफ नहीं है, लेकिन आपकी तो आपके लिए पर्सनल लाइफ है। यहां आप अपनी जिंदगी कि स्क्रीन पर किरदार कर रहे हैं, हीरो/ हीरोइन भी आप है, विलेन भी आप है। कब क्या करना है, ये भी आप को ही डिसाइड करना है। 

             इसलिए खुद कि जिंदगी की स्क्रिप्ट पर ध्यान दो, अपने किरदार को इस तरह निभाओ, जो आप दो घंटे कि फिल्म में देख कर आए हो। परेशानियां सब कि जिंदगी में है, दुनिया में पैदा होने वाला हर इंसान के साथ परेशानी पैदा होती है। बिना परेशानी का इंसान हो भी नहीं सकता।
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स्वयं के विचारों पर नियंत्रण 

अक्सर मनुष्य अपने विचारों से ही जाना जाता है जैसे - महात्मा गांधी, नेशनल मंडेला, मदर टेरेसा आदि | इन लोगों ने अपने विचारों को इस तरह से रखे की सामान्य मनुष्य भी आसानी से समझ सके | भक्ति की तरफ देखे तो आधुनिकता के समय में स्वामी विवेकान्द, जिन्होंने केवल भारत को ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अपने विचारों को रखा | किस तरह आज के मनुष्य को अपना जीवन यापन करना चाहिए | इन सभी व्यक्तियों ने अपने विचारों पर नियंत्रण किया है | 

         संन्यासी, संन्यास को धारण करने से पहले अपने मन को कंट्रोल करता है। अपने मन को कंट्रोल करना, सबसे बड़ी बात होती है। इसलिए संन्यासी बनने कि सोचना भी मत। क्योंकि हमारा मन हर‌ एक मिनट में बदल जाता है। 
 
              अपने कमरे में लगे आईने को देख कर खुद को actor/ actor's  समझने लगते है, जब कमरे से बाहर निकले, तो खुद को घर का मालिक समझ ले ते है। जब गली में निकलते तो खुद को मौहल्ले का प्रधान समझ ले ते है। पंचायत में जाए तो पंच, राजनेता से मिले तो राज नेता, Government अफसर से मिले तो खुद को  IPS, IAS, RAS समझने लगते है।

           ये यह हमारे मन के हाल, बंदर से भी तेज, एक पेड़ से दुसरे पेड़ चढ़ रहा है। अच्छाई इसी में है कि मन को हमेशा एक दिशा में लगाओ। हम सामान्य तौर पर जब सोते है तब भी हमारा मन स्थर नहीं रहता है, हम अपनी नींद मे भी घूमते रहते है | लेकिन जब हम सोते है उस समय जो मन में विचार होता है वही अपने नींद में पूरी रात दौड़ता रहता है |

हर इंसान को खुद के विचार ंंऔर खुद पर हर परिस्थिति में control होना चाहिए। बहुत ज़्यादा विचार इंसान के लिए दुश्मन के समान है। इस लिए कोई भी परिस्थिति हो मनुष्य को हमेशा एक समान ही बना रहना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि खुशी में खुश नहीं रहना चाहिए। खुश रहो इतना नहीं कि आप स्वयं को भूल जाओ। 


भगवान मनुष्य के पास दोनों परिस्थितियां भेजना है। वह परीक्षा लेता है कि अब तक इंसान ने कितना ज्ञान प्राप्त किया है। कुछ लोग अपनी उल्ट परिस्थितियों को देख कर बिखर जाते हैं ऐसा नहीं करना है। परिस्थितियों इस लिए आती है कि आप ने स्वयं को कितना मजबूत किया है।  


खुशी में खुश रहो और इतना कि स्वयं को न भूल जाओ और दुख में खुद को इतना नहीं बिखरना है कि लोग आते जाते तमाशा करने लगे। इन दोनों परिस्थितियों में खुद को संभलना बहुत ही जरूरी है। यही होता है Self control । दुनिया कुछ भी कहे खुद पर control होना चाहिए। परिस्थितियां इस लिए तो आती है कि इंसान ने खुद को कितना ज्ञान दिया और खुद को कितना मजबूत किया।

मूल्यांकन 


जिस मनुष्य के पास ज्ञान है वह कभी भी, किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं हो सकता। वह सभी परिस्थितियों को एक समान सामना करेगा। मनुष्य को धैर्य यही होता है, कि इन्सान किस परिस्थिति में कैसा व्यवहार करेगा। 

Self-control, also known as self-discipline, is the ability to regulate and manage one's own behavior, emotions, and impulses. It involves making choices that may not be immediately satisfying but are in line with long-term goals and values. Developing self-control is important for achieving personal and professional success, as it helps individuals resist temptations, stay focused, and make prudent decisions. Techniques to improve self-control include setting goals, creating routines, practicing mindfulness, and avoiding triggers that lead to impulsive behavior.

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