जिंदगी को कभी साफ मत रखना, न ही कभी सोचना। जिंदगी साफ रहे। जिंदगी कभी साफ रहेगी ही नहीं। तुम कितनी भी कोशिश कर लो। इस लिए जिंदगी में दाग लगने दे।
दाग ऐसे लगाओ कि लोग सोच में पड़ जाएं, आप कि तारीफ करे या बदनामी।
याद रहे, अपने चरित्र पर कभी दाग मत लगने देना। चरित्र और जिंदगी दोनों बहुत ही अलग है। जैसे आपके मोबाइल में whatsup है, whatsup का status आपका चरित्र है और whatsup के जरिए कि गई बातें, chat, video call, voice Call ये आपकी जिंदगी है।
चरित्र कैसा हो
चरित्र हमेशा साफ रखो और जिंदगी दाग वाली रखो। आप आंखों को खोल कर सूरज को कभी नहीं देख सकते, लेकिन आप बहुत ही अच्छे से देख पाते हैं। हां, यहा सही है, सूरज लोगों को रोशनी देता है लेकिन याद यह भी रखना, जब ज्यादा गर्मी होती है तो लोग गलियां भी देते है।
अब आप चांद को देखो, है दाग वाला, लेकिन लोग चाहते बहुत है। कितनी कहानियां इस चांद से जुड़ी हुई है। लेकिन है उस पर दाग।
इस लिए मेरा एक शेर है -
" रहता है चांद एक ही,
मगर टूटते हैं तारे बोत,
तुम सूरज कि तरह साफ मत रहना,
दाग वालों पर लोग मरते हैं बोत।। "
चरित्र एक व्यक्ति की नैतिक और नैतिक गुणधर्मों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह उसके विचारों, व्यवहार, और कार्यों का अवलोकन करता है। चरित्र का महत्व इसलिए होता है क्योंकि यह हमारे व्यक्तित्व और दृष्टिकोण को परिभाषित करता है और हमारे समाज में सहयोग और सामाजिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
चरित्र का होना मुख्य रूप से इन गुणों पर निर्भर करता है:
नैतिकता: एक अच्छे चरित्रवाले व्यक्ति को नैतिक नीतियों और मूल्यों का पालन करने का संकल्प होता है। यह व्यक्ति के व्यवहार और निर्णयों में सहायक होता है।
ईमानदारी: चरित्रवान व्यक्ति ईमानदार और निष्ठावान होते हैं। वे अपने वचनों को पालन करते हैं और दूसरों के साथ ईमानदारी से व्यवहार करते हैं।
सहनशीलता: चरित्र के माध्यम से सहनशीलता और सहयोगी भावना का विकास होता है। इससे व्यक्ति की समर्थन और सहायता की क्षमता में सुधार होता है।
समर्पण: चरित्रवान व्यक्ति समर्पित होते हैं और अपने कार्यों में पूरी मेहनत और निष्ठा दिखाते हैं। वे अपने लक्ष्यों के प्रति संवादनशील होते हैं।
सामाजिक जिम्मेदारी: अच्छे चरित्रवाले व्यक्ति सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सकारात्मक रूप से सामना करते हैं। वे समाज के लिए उपयोगी और उत्कृष्ट योगदान देने का संकल्प रखते हैं
जिंदगी कैसी चल रही है
सब कि जिंदगी कई उलझनों से चल रही है, हर कोई अपनी उलझन ले के चल रही है। इसका मतलब ये नहीं कि वो खुश नहीं हैं। उन उलझनों को लिये जो इंसान मुस्करा रहा है वही इंसान असल जिंदगी जी रहा है। उन उलझनों में आपका का कौन कितना साथ दे रहा है और कौन कितना पीछे हट रहा है, यह भी ध्यान रखना। लेकिन मैं चाहता हूं कि उन उलझनों को सारे आम करो, ताकि लोगों को पता तो चले, फिर होगी आपके बारे में बहुत सारी बातें।
दिमाग को किस स्थिति में रखा जाए
इस दुनिया के सामने हमेशा उलझनें रखो लेकिन अपने दिमाग में उन उलझनों का हल। दुनिया को जी चाहे करने दो। इसमें कई लोग आपके साथ होंगे, कई लोग आपका तमाशा करेंगे। सब अच्छा है लेकिन अपना काम अपनी गति और शक्ति से करो।
प्रकृति से क्या सीखे
सूर्य हमेशा अपनी ही गति से चलता है, हालांकि इसे भी यह दुनिया कभी तेज चलने को बोलती है और कभी धीरे चलने के लिए बोलती है। यह फिर भी अपनी ही गति से चलता है। कोई नहीं इस पर कुछ कर पाता है। इस लिए अपनी जिंदगी में अपनी गति रखो और उस गति को उस हिसाब से रखो कि आप अपने काम में कभी पीछे न रहे।
लोग आयेंगे और जायेंगे, ये लोगों का काम है। लोगों के आने और जाने का प्रभाव अपनी जिंदगी में कभी मत पड़ने देना। इस दुनिया को बाहर ही उन उलझनों में फसा के रखना, अपना काम सावधानी से कर लेना।
प्रकृति से हम कई महत्वपूर्ण सीख सकते हैं जो हमारे जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने में मदद कर सकती हैं। यहां कुछ मुख्य सीखें हैं जो हम प्रकृति से सीख सकते हैं:
संतुलन और समन्वय: प्रकृति हमें संतुलन और समन्वय की महत्वपूर्णता सिखाती है। जैसे कि पेड़ों की शाखाएं समानता और संतुलन का प्रतीक होती हैं। हमें भी अपने जीवन में समन्वय और संतुलन की आवश्यकता है।
सफलता के लिए धैर्य: प्रकृति ने हमें धैर्य की महत्वपूर्णता सिखाई है। पेड़ों को बड़ा होने में भी समय लगता है। हमें भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए धैर्य और समर्पण दिखाना चाहिए।
सजीवता और पुनर्जीवन: प्रकृति हमें सजीवता और पुनर्जीवन की सीख देती है। जैसे कि वृक्ष वर्षों तक सजीव रहते हैं और प्रकृति की मदद से नए पौधे उत्पन्न होते हैं। हमें भी अपने जीवन में सजीवता और पुनर्जीवन के लिए संकल्पित रहना चाहिए।
संवाद का महत्व: प्रकृति में हमें संवाद का महत्व समझाया जाता है। पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, और प्राकृतिक परिसंपर्कों के माध्यम से हम संवाद कर सीख सकते हैं। हमें भी अपने आस-पास के माहौल के साथ संवाद में रहना चाहिए।
समृद्धि का मार्ग: प्रकृति हमें समृद्धि का मार्ग सिखाती है।
दिल कि बात
शायद यह सोचना कभी ग़लत नहीं हो सकता है कि तुम्हारा दिल क्या कहता है। दिल और दिमाग कि इस कश्ती में हर मनुष्य, हर बार रहता है कि किसकी बात सुनी जाए। लेकिन याद रहे, इन दोनों में से किसी एक कि बात मानने से पहले यह सोचना ज़रूरी है कि तुम किसकी बात से संतुष्टि मिलेगी।
जितनी बाहर कि दुनिया महत्वपूर्ण नहीं रखती, उससे की गुणा यह महत्वपूर्ण रखता है कि आप किसका चुनाव करते हैं। खुद कि जिंदगी में किस चीज़ का चुनाव किया जा रहा है। इस लिए तुम्हारे अंदर कि खुशी सबसे महत्वपूर्ण होती है। मनुष्य चाहे कितना भी बड़ा काम कर ले, मगर जब तक वह उस काम करने के बाद खुश नहीं होता है, वह काम करना कि बेकार है।
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दिल की बातें अक्सर अशब्द होती हैं, लेकिन हम इन्हें अपनी भावनाओं और अनुभूतियों का एक माध्यम मान सकते हैं। यहां कुछ अहम बातें हैं जो दिल की बात को समझने में मदद कर सकती हैं:
अवस्था समीक्षा: अपनी भावनाओं और अनुभूतियों की अवस्था समीक्षा करें। क्या आप खुश हैं, उत्साही हैं, या दुखी हैं? यह समीक्षा आपको आपके दिल की स्थिति का सही मूल्यांकन करने में मदद करेगी।
संवाद: अपने विचारों और भावनाओं को किसी विश्वसनीय व्यक्ति या दोस्त के साथ संवाद करें। सहयोगी संवाद में शामिल होने से आपको अधिक बेहतर महसूस हो सकता है।
अपनी बात सुनाएं: अपनी भावनाओं को सुनना भी महत्वपूर्ण है। आपको स्वयं से बातचीत करने के लिए खुद के साथ समय बिताएं।
कल्पना और लेखन: अपनी भावनाओं, चिंताओं, और संवादों को कल्पना करें और लिखें। लेखन एक माध्यम है जिससे हम अपने दिल की बातें साझा कर सकते हैं और उन्हें समझ सकते हैं।
सामूहिक क्रियाएँ: सामूहिक क्रियाएँ और साथी योजनाएं भी आपके दिल को सुकून और खुशी दे सकती हैं। दोस्तों या परिवार के साथ समय बिताना भी आपको मानसिक समृद्धि प्रदान कर सकता है।
सेल्फ केयर: आत्म संभालना, ध्यान, योग, और संबंधों में संतुलन बनाए रखना भी दिल की बात को समझने में मदद कर सकता है।
बदली जिंदगी
कोई भी इंसान नहीं है, जिसकी अभी तक जिंदगी नही बदली। यह तभी बदलती है जब इंसान अपने सोचने का और काम करने का तरीका बदलता है। बदलना प्रकृति का नियम है और मनुष्य को अवश्य बदलना चाहिए। वक्त सीखाता है तुमने वक्त के साथ कितना सीखा है। अगर तुम वक्त के साथ नहीं चले, तो तुम्हें शायद कोई भगवान बचाए। क्योंकि इस दुनिया में जिंदा भी वही रहा है जिसने वक्त को पहचाना और इस वक्त के साथ खुद को।
यह जिंदगी तभी बदलती है जब इंसान खुद को समय के साथ चलता है। वर्तमान में लोग सोशल मीडिया पर हर कोई मिलता है लेकिन कुछ लोग उनका मजाक बनाते हैं, वे यह समझने में देरी करते हैं कि समय क्या है। इस लिए किसी का मज़ाक उड़ाने से पहले यह देखना भी जरूरी है कि वक्त क्या कहता है ।
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