सिंधु घाटी सभ्यता - भारतीय इतिहास, विश्व के प्राचीनतम इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। 5,000 हजार साल पहले के प्रमाण उपलब्ध है जो भारत कि भूमि को, भारतीय इतिहास को सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं। किस तरह पहले के मानव अपनी जिंदगी जीते थे। अगर हम आज आधुनिक शहरों कि बात करें तो भारत कि भूमि पर मिले प्रमाण हमें यह बताते है कि इनकी शुरुआत 5,000 हजार साल पहले हो चुकी थी। यह शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता से शुरू हुई, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता कहते हैं। (सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषता क्या थी)
जिस तरह समय बदलता गया, यहां के लोगों का जीवन भी बदलता गया। भूकंप, प्राकृतिक आपदाओं ने यहां के लोगों के दैनिक जीवन पर गहरा प्रभाव डाला और यहां से लोग दूसरी जगह पर जाने लगे। लेकिन अपने अवशेषों को इस सभ्यता ने हमेशा के लिए जिंदा रखा।
सिंधु घाटी सभ्यता कि ख़ोज
सिंधु घाटी सभ्यता कि खोज 1826 में हुई। अंग्रेजों द्वारा रेलवे लाइन बनाने में मिट्टी कि ईंटो का उपयोग करते थे। सिंधु घाटी में रेत के टीले में दबी ईंटो को देख कर अंग्रेज चार्ल्स मेसन ने पता लगाया कि यहां कोई पूरानी सभ्यता के अवशेष है।
सिंधु घाटी में बहुत सारे स्थल है लेकिन सबसे पहले हड़प्पा स्थल को खोजा गया, इस लिए इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता का कहा जाता है। यह हड़प्पा सभ्यता का नामकरण अंग्रेज जॉन मार्शल ने किया। यह पूरी सभ्यता सिंधु नदी के तंत्र के चारों ओर बसी होने के कारण, इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाता है। इस सभ्यता से पीतल के बर्तन मिले, इस लिए इस सभ्यता को कांस्य युगीन सभ्यता भी कहा जाता है।
1826 में चार्ल्स मेसन ने इस सभ्यता का पता लगाया था, लेकिन इस सभ्यता कि सही तरीके से खोज 1921 में भारतीय पुरातत्व के सदस्य रायबहादुर दयाराम ने कि। यह काम 1921-22 के बीच कलकत्ता में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अध्यक्ष जॉन मार्शल के निर्देशन में हुआ।
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यह पूरी सभ्यता त्रिभुजाकार मानी जाती है, अधिकांश विद्वानों ने माना कि इस सभ्यता का निमार्ण द्रविड़ लोगों ने किया। इस सभ्यता को भारत कि प्रथम नगरीय क्रांति भी कहा जाता है। (सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषता क्या थी)
इस सभ्यता का विस्तार लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर ( 1299600 वर्ग किलोमीटर ) माना जाता है। माना जाता है कि इस सभ्यता कि पश्चिमी से पूर्व लगभग 1600 किलोमीटर और उत्तर से दक्षिण लगभग 1400 किलोमीटर लम्बाई है। यह सभ्यता वर्तमान में तीन देशों में फैली हुई है, भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान। जिनमें मुख्य फैलाव पाकिस्तान में है। किसी भी वस्तु का समय पता लगाने के लिए , कि यह कितने साल पूरानी हैं जिसे कार्बन डेटिंग जिसे c - 14 विधि भी कहा जाता है । इससे पता चलता है कि इस सभ्यता का समय 2350 ई पूर्व से 1750 ई पूर्व था।
सिंधु घाटी सभ्यता का भौगोलिक क्षेत्र (sindhu ghati sabhyata ka vistar)
सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे था। इसकी सीमाएँ पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान तट से लेकर पूर्व में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले तक और उत्तर में अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वत से लेकर दक्षिण में गुजरात के सौराष्ट्र तक फैली हुई थीं। प्रमुख शहरों में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, धोलावीरा, राखीगढ़ी, और कालीबंगन शामिल हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की आर्थिक व्यवस्था
सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी, लेकिन व्यापार और शिल्पकला भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाते थे। यहां के लोग गेहूं, जौ, मटर, तिल और कपास की खेती करते थे। इसके अलावा, वे कुम्हार, बुनकर, धातुकर्मी और जौहरी भी थे। सिंधु घाटी के लोगों का व्यापार मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं के साथ भी था, जो उनके समुद्री और स्थल व्यापार की उन्नत स्थिति को दर्शाता है।
मूल्यांकन
इस सभ्यता का विकास दो अलग - अलग कालो में हुआ, जो पहला काल है वो 3500 ई. पूर्व से 2600 ई. पूर्व तक माना जाता है और दूसरा काल 2500 ई. पूर्व से 1800 ई. पूर्व तक माना जाता है, दूसरा काल इस सभ्यता के विकास में चरमोत्कर्ष काल माना जाता है।
जिस तरह वर्तमान शहरों को स्मार्ट सिटी में बदला जाता है, उसी तरह सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों का निमार्ण हुआ था। जयपुर शहर का निमार्ण सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों के तर्ज पर हुआ है।
भारत का इतिहास
भारत का इतिहास और पूराने भारत का विज्ञान, पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। आज जो भी विश्व में नया अविष्कार होता है उसका भारत के विज्ञान में उल्लेख हो चूका है। अगर आपको सिर्फ मनुष्य का विकास ही नहीं, पूरी धरती का विकास करना है, तो भारत का इतिहास पढ़ो। भारत का इतिहास और सनातन धर्म आपको उस स्थान पर ले जायेगा, जहां आप सोच भी नहीं सकते। (sindhu ghati sabhyata ka vistar)
भारत का इतिहास सिर्फ भारत का इतिहास ही नहीं है बल्कि वह मानव विकास का उच्चतम एक उदाहरण हैं, जिसका अध्ययन करके, वर्तमान का मानव अपना विकास कर सकता है। सिंधु घाटी सभ्यता से मानव के अपना विकास, वर्तमान इंसान कि सोच से भी ज्यादा किया था। भारत का विज्ञान, जिसको पश्चिमी देशों ने चोरी करके, उसको अपना बना लिया। सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथों को पढ़ने के बाद, आप दुनिया के किसी भी धर्म के ग्रंथ पर विश्वास नहीं करोगे।
सिंधु घाटी सभ्यता का पतन
सिंधु घाटी सभ्यता का पतन लगभग 1900 ईसा पूर्व के आसपास हुआ। इसके पतन के कारणों के बारे में अभी भी शोध जारी है, लेकिन संभवतः जलवायु परिवर्तन, नदी प्रणाली में परिवर्तन, और आक्रमणकारी आर्य जनजातियों के आगमन को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है।
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