UNESCO world Heritage Sites in India, भारत में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित स्थलों की सूची में 2024 तक
भारत में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित स्थलों की सूची में 2024 तक कुल 43 स्थल शामिल किए गए है | यूनेस्को के द्वारा तय किए गए मापदंडों के आधार पर इन स्थलों को Select करती है | भारत के सांस्कृतिक धरोहर स्थल में कुल 33 है, प्राकृतिक धरोहर स्थल में कुल 7 है और मिश्रित धरोहर स्थल में कुल 3 है | यहाँ आप UNESCO में शामिल भारत के विभिन्न स्थलों के नाम देख सकते है | इसके साथ अजंता की गुफाएँ की भी जानकारी को देख सकते है | यह किस तरह भारत के इतिहास में अपना महत्व रखती है |
UNESCO ने भारत में दिसंबर 2024 तक कुल 43 विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया हैं, इन तीन श्रेणियों में स्थलों को विभाजित किया है, पहली सांस्कृतिक, दूसरी प्राकृतिक, और तीसरी मिश्रित है। इन सभी श्रेणियों के अनुसार स्थलों की जानकारी को देख सकते है |
यूनेस्को (UNESCO) शामिल भारतीय स्थल -
सांस्कृतिक धरोहर स्थल -
यूनेस्को (UNESCO) ने सांस्कृतिक स्थल में भारत के कुल 35 स्थलों को शामिल किया है, जिनके नाम इस प्रकार है -
1. अजंता की गुफाएँ (महाराष्ट्र)- यह 1983 में शामिल |
2. एलोरा की गुफाएँ (महाराष्ट्र) - यह 1983 में शामिल |
3. आगरा का किला (उत्तर प्रदेश) - यह 1983 में शामिल |
4. ताज महल (उत्तर प्रदेश) - यह 1983 में शामिल |
5. महाबलीपुरम के स्मारक समूह (तमिलनाडु) - यह 1984 में शामिल
6. कोणार्क का सूर्य मंदिर (ओडिशा) - यह 1984 में शामिल |
7. गोवा के चर्च और कॉन्वेंट (गोवा) - यह 1986 में शामिल |
8. फतेहपुर सीकरी (उत्तर प्रदेश) - यह 1986 में शामिल |
9. हम्पी के स्मारक समूह (कर्नाटक) - यह 1986 में शामिल |
10. खजुराहो के स्मारक समूह (मध्य प्रदेश) - यह 1986 में शामिल |
11. पत्तदकल के स्मारक समूह (कर्नाटक) - यह 1987 में शामिल |
12. एलिफेंटा की गुफाएँ (महाराष्ट्र) -यह 1987 में शामिल |
13. महान जीवित चोल मंदिर (तमिलनाडु) - यह 1987 में शामिल |
14. सांची के बौद्ध स्मारक (मध्य प्रदेश) - यह 1989 में शामिल |
15. कुतुब मीनार और इसके परिसर (दिल्ली) - यह 1993 में शामिल |
16. हुमायूँ का मकबरा (दिल्ली)- यह 1993 में शामिल |
17. भारत के पर्वतीय रेलमार्ग (पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश) -यह 1999 में शामिल |
18. बोधगया में महाबोधि मंदिर (बिहार) - यह 2002 में शामिल |
19. भीमबेटका के शैलाश्रय (मध्य प्रदेश) - यह 2003 में शामिल |
20. चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व उद्यान (गुजरात) - यह 2004 में शामिल |
21. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (महाराष्ट्र) - यह 2004 में शामिल |
22. दिल्ली का लाल किला (दिल्ली) - यह 2007 में शामिल |
23. जंतर मंतर (जयपुर, राजस्थान) - यह 2010 में शामिल |
24. राजस्थान के पहाड़ी किले (राजस्थान) - यह 2013 में शामिल |
25. रानी की वाव (गुजरात) - यह 2014 में शामिल |
26. नालंदा महाविहार (बिहार) - यह 2016 में शामिल |
27. ली कोर्बुसिए का वास्तुशिल्प कार्य (चंडीगढ़) - यह 2016 में शामिल |
28. अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर (गुजरात) - यह 2017 में शामिल |
29. मुंबई का विक्टोरियन और आर्ट डेको एनसेंबल (महाराष्ट्र) - यह 2018 में शामिल |
30. जयपुर शहर (राजस्थान) - यह 2019 में शामिल |
31. काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर (तेलंगाना) - यह 2021 में शामिल |
32. धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर (गुजरात) - यह 2021 में शामिल | \
33. शांतिनिकेतन (पश्चिम बंगाल) - यह 2023 में शामिल |
34. होयसला साम्राज्य के पवित्र स्थल (कर्नाटक)- यह 2023 में शामिल |
35. मोइदम – अहोम राजवंश की समाधि प्रणाली (असम)- यह 2024 में शामिल |
नोट: "मोइदम – असम में अहोम राजवंश की समाधि प्रणाली" को यूनेस्को (UNESCO) ने जुलाई 2024 में भारत के 43वें विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया था |
Features of Indus Valley Civilization
प्राकृतिक धरोहर स्थल
यूनेस्को (UNESCO) ने भारत के 7 प्राकृतिक स्थलों को शामिल किया गया -
1. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम) - यह 1985 में शामिल |
2. मानस राष्ट्रीय उद्यान (असम)- यह 1985 में शामिल |
3. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) - यह 1985 में शामिल |
4. सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान (पश्चिम बंगाल) - यह 1987 में शामिल |
5. नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (उत्तराखंड) - यह 1988 में शामिल |
6. पश्चिमी घाट (महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल) - यह 2012 में शामिल |
7. ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान (हिमाचल प्रदेश) - यह 2014 में शामिल |
मिश्रित धरोहर स्थल
यूनेस्को (UNESCO) में भारत के कुल 3 स्थल मिश्रित रूप में स्थल शामिल है | यह सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोनों तरीकों से अपना महत्व रखते है इस लिए इन स्थलों को मिश्रित स्थल में रखा है -
1 . कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (सिक्किम) |
2. धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर (गुजरात) |
3. शांतिनिकेतन (पश्चिम बंगाल) |
अजंता की गुफाएँ
अजंता की गुफाएँ भारतीय कला, वास्तुकला और संस्कृति की समृद्ध धरोहर के रूप में हैं यानि यह भारतीय कला और संस्कृति का अमूल्य खजाना के रूप में अपना महत्व स्थापित रखती है | यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है | यह गुफ़ाएं भारतीय बौद्ध धर्म के इतिहास का महत्व आज भी रखती है। यहाँ आप अजंता की गुफाओं का इतिहास, उनकी विशेषताएँ, और पर्यटन के रूप में जानकारी को देख सकते है और यह इतने साल के बाद भी आज भी महत्व रखती है |
अजंता की गुफाओं का इतिहास
अजंता की गुफाएँ महाराष्ट्र में वाघोरा नदी के पास स्थित हैं | इनका निर्माण पहली शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 7वीं शताब्दी ईस्वी के बीच हुआ है। इस गुफा का निर्माण दो प्रमुख कालखंडों किया गया है -
सबसे पहले इसका निर्माण पहली शताब्दी ईसा पूर्व (सातवाहन काल) हुआ था | शुरुआत में गुफाएँ थेरवाद बौद्ध धर्म के प्रभाव में निर्मित हुईं थी। इस समय इन गुफाओं का उपयोग ध्यान और साधना के लिए किया जाने लगा |
दूसरा समय 5वीं-7वीं शताब्दी (गुप्त काल) में किया गया था | इस समय महायान बौद्ध धर्म के उदय हो चुका था, इन सभी गुफाओं को भित्ति चित्रों, मूर्तियों, और विस्तृत नक्काशी से सजाया गया था |
अजंता गुफाओं की संरचना
अजंता में कुल 30 गुफाएँ निर्माण किया गया था, यह मुख्य रूप से तीन प्रकार की है जो इस यह -
- विहार (मठ), इन गुफाओं में बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा निवास और ध्यान किया जाता था | इस लिए इनमें कई कक्ष के साथ एक खुला प्रांगण का निर्माण किया गया |
- चैत्य (पूजा स्थल), यह पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए के लिए बनाये गए थे। इनमें मुख्यत: स्तूप और विशाल खुले स्थान निर्माण हुआ है |
- मठ-मंदिर गुफाएँ, इन गुफाओ में ध्यान और पूजा दोनों करने के लिए बनाया गया | यह गुफा बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को आज भी दर्शाती हैं।
भित्ति चित्र और मूर्तियाँ
अजंता की गुफाएँ अपनी भित्ति चित्रकारी और मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ के भित्ति चित्र बौद्ध धर्म की कहानियों और जातक कथाओं को दर्शाते हैं।
भित्ति चित्रों की विशेषताएँ
- प्राकृतिक रंगों का उपयोग, इस गुफा में बनाये गए सभी चित्रों में खनिज और प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया गया है। जो इसकी महत्वपूर्ण विशेषता है |
- विषय की विविधता, इसमें जातक कथाओं के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के परिवेश का भी चित्रण किया गया है | उस समय का समाज किस प्रकार का था | यह हमको इन चित्रों से जानकारी मिलती है |
- कला की जटिलता, इन चित्रों में अद्भुत विवरण, प्रकाश-छाया का उत्कृष्ट उपयोग किया गया है, जो देखने में संजीव की ओर मिलते है |
- बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं में मूर्तियाँ जिस प्रकार इनका ध्यान, उपदेश देना और महापरिनिर्वाण का चित्रण मिलता है।
- स्तूप और अन्य धार्मिक प्रतीक, जो बौद्ध धर्म के गहरे आध्यात्मिक प्रभाव को दिखाते है |
प्रमुख गुफाएँ
- गुफा संख्या 1, इस गुफा में भित्ति चित्रों का चित्रण किया गया है, इन चित्रों में जातक कथाओं और बुद्ध की ध्यान मुद्रा को दिखा गया है |
- गुफा संख्या 2, इसमें बुद्ध के जीवन की विभिन्न घटनाओं और सामाजिक जीवन का चित्रण किया गया है |
- गुफा संख्या 9 और 10, यह प्राचीन चैत्य गुफाएँ हैं, इसमें सुंदर स्तूप और नक्काशी को उकेरा गया है |
- गुफा संख्या 26, इस गुफा में बुद्ध का महापरिनिर्वाण मुद्रा में मूर्ति को बनाया हुआ है |
अजंता गुफाओं का धार्मिक - सांस्कृतिक महत्व
अजंता की गुफाएँ बौद्ध धर्म के इतिहास के साथ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इस गुफा में बौद्ध धर्म के दोनों प्रमुख संप्रदाय जैसे थेरवाद और महायान के बारे में जानकारी मिलती है | अजंता की गुफा का महत्व इस प्रकार है -
- धार्मिक महत्व रूप में, इन गुफाओं में भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म की शिक्षा मिलती है |
- सांस्कृतिक धरोहर के रूप में, यह गुफा प्राचीन भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक के रूप में अपना आज भी महत्व रखती है और बुद्ध धर्म के बारे में भारत का सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश मिलता है |
- शैक्षणिक महत्व के रूप में, यहाँ मिलती भित्ति चित्रकारी और मूर्तिकला विश्वभर में भारत की कला और इतिहास को प्रदर्शित करती है |
इसके साथ अजंता की गुफाएँ भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। यहाँ रोजाना हजारों लोग आते है |
अजंता की गुफा का संरक्षण और चुनौतियाँ
अजंता की गुफाओं को संरक्षित करके रखना बहुत महत्व पूर्ण चुनौती है। इस गुफा की प्राकृतिक क्षति होती है जो बदलते जलवायु और पर्यावरणीय के कारण होता है | पर्यटकों की भारी संख्या में आने के कारण गुफा में बने भित्ति चित्रों का नुकसान होता है | भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अन्य संस्थाएँ इन गुफाओं को संरक्षित रखने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं।
निष्कर्ष
अजंता की गुफाएँ भारतीय कला, धर्म, और संस्कृति के रूप में महत्वपूर्ण हैं। यह गुफा न केवल भारतीय इतिहास, सामाजिक, सांस्कृतिक के बारे में बताती हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में खुद को स्थापित करती हैं। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करती हैं |
अजंता की गुफा से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
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अजंता की गुफाओं का निर्माण कब और किस काल किया गया है ?
उत्तर: अजंता की गुफाओं का निर्माण पहली शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 7वीं शताब्दी ईस्वी के बीच दो प्रमुख कालखंडों किया गया और इसका निर्माण सातवाहन काल और गुप्त काल में किया गया था | -
अजंता की गुफाएँ किस राज्य में हैं?
उत्तर: अजंता की गुफा महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित है और यह वाघोरा नदी के है | -
अजंता गुफाओं को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल में कब शामिल किया ?
उत्तर: अजंता की गुफाओं को यूनेस्को ने साल 1983 में विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया था | -
अजंता की गुफाओं में कितनी गुफाएँ मिलती हैं?
उत्तर: अजंता में कुल 30 गुफाएँ मिलती हैं। -
अजंता की गुफाओं में देखने के लिए क्या है ?
उत्तर: इस अजंता की गुफा में भित्ति चित्र, मूर्तियाँ, स्तूप और जातक कथाओं का चित्रण देखने को मिलते है | -
अजंता की गुफाओं में किस प्रकार की संरचनाएँ मिलती है ?
उत्तर: इस गुफा में तीन प्रकार की संरचना मिलती हैं जो विहार (मठ), चैत्य (पूजा स्थल), और मठ-मंदिर है। -
अजंता की गुफाओं के भित्ति चित्रों में कौन-से रंगों का उपयोग हुआ है ?
उत्तर: इन भित्ति चित्रों में खनिज और प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया है | -
गुफा संख्या 26 का महत्व क्या है?
उत्तर: गुफा संख्या 26 में भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण मुद्रा की विशाल मूर्ति मिलती है, यह आध्यात्मिक शांति का प्रतीक है। -
अजंता गुफाएँ में धार्मिक संप्रदायों की जानकारी मिलती हैं?
उत्तर: ये गुफाएँ थेरवाद और महायान बौद्ध धर्म से जानकारी मिलती हैं। -
अजंता की गुफाओं को किसके द्वारा संरक्षित किया जा रहा है ?
उत्तर: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) गुफाओं के द्वारा संरक्षित किया जा रहा है | -
भित्ति चित्रों में किस प्रकार की कहानियाँ दर्शाई गई हैं?
उत्तर: भित्ति चित्रों में जातक कथाएँ, बुद्ध के जीवन की घटनाएँ, और सामाजिक जीवन के पहलू दर्शाए गए हैं।
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