गौतम बौद्ध का सामान्य परिचय - बौद्ध धर्म का प्रवर्तक महात्मा गौतम बुद्ध है | इनका जन्म 563 ई, पू वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था | नेपाल में लुम्बिनी वन में हुआ | गौतम के जन्म होने के 7 दिन बाद माता महामाया की मृत्यु हो जाती है, तब गौतम की सौतली माता प्रजापति गौतमी ने इनका पालन किया | बुद्ध को बचपन में सिद्धार्थ के नाम से पुकारते था | फिर आगे चल कर जब ज्ञान की प्राप्ति होती है तब इनको गौतम बौद्ध के नाम से जाना जाता है |
बौद्ध धर्म एक प्राचीन धर्म और दर्शन है | यह धर्म प्रमुख रूप से अहिंसा, करुणा, और मध्यम मार्ग के सिद्धांतों पर आधारित है। बौद्ध धर्म न केवल एक धार्मिक मार्ग है, बल्कि एक जीवन शैली है जो मन की शांति और आत्मिक विकास पर जोर देती है।
बौद्ध धर्म का इतिहास
बौद्ध धर्म की शुरुआत लगभग 5वीं-6वीं शताब्दी ईसा पूर्व हुई थी, जब भारत में सिद्धार्थ गौतम ने आत्मज्ञान प्राप्त किया और बुद्ध (जागृत) कहलाए। उनका उद्देश्य था कि सभी प्राणी दुःख से मुक्त हों, और इसके लिए उन्होंने 'आष्टांगिक मार्ग' (अष्टांग मार्ग) की शिक्षा दी थी |
बौद्ध धर्म में ध्यान (Meditation) को आत्मा और मस्तिष्क की शुद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। ध्यान के माध्यम से मनुष्य अपने भीतर की शांति और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है। इसके लिए दो मुख्य ध्यान पद्धतियाँ हैं: विपस्सना और समाधि।
बौद्ध धर्म का प्रभाव केवल एशिया तक सीमित नहीं है, बल्कि आज यह पूरी दुनिया में फैल चुका है। इसकी शिक्षाओं ने पश्चिमी देशों में भी ध्यान, योग, और मानसिक शांति की प्रथाओं को बढ़ावा दिया है।
गौतम बौद्ध का ज्ञान प्राप्ति का विवरण
गौतम बुद्ध ने 29 साल की आयु में अपना घर त्याग दिया जो बौद्ध धर्म के साहित्य में महाभिनिष्करण के नाम से जाना जाता है | इसके बाद गोरखपुर मे अनोमा नदी के तट पर सन्यास धरण किया | गौतम बुद्ध के पहले गुरु आलारकालाम थे जो वैशाली के रहने वाले थे | इस प्रथम गुरु से गौतम ने सांख्य दर्शन का ज्ञान लिया | फिर यहाँ से राजगृह में पहुंचे और यहाँ उद्दक रामपुत्त से ज्ञान प्राप्त किया |
गौतम बुद्ध ने गया जो बिहार में बोधगया के नाम से जाना जाता है, इस जगह पर चलने वाली निरंजन नदी के तट पर पीपल पेड़ के नीचे अपना आसन बनाया | यही से लगातार 48 दिनों का तप करने के बाद वैशाखी पूर्णिमा की रात को ज्ञान प्राप्त हुआ | बौद्ध धर्म में इस ज्ञान प्राप्त करने को बोधि (कैवल्य ज्ञान) कहते है | इसी रात के बाद यानि ज्ञान प्राप्त करने के बाद सिद्धार्थ - बुद्ध कहलाए | वह पीपल का पेड़ बोधिवृक्ष कहलाया और गया जो बोधगया कहलाया |
गौतम बुद्ध के उपदेश
यहाँ बौद्ध धर्म में इस ज्ञान प्राप्ति को सम्बोधि के नाम से जाने जाना लगा | जैसे ही गौतम बौद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया उसके बाद सबसे पहले सारनाथ में हिरण्य वन में पाँच ब्राम्हणो को उपदेश दिया, यह पाँच ब्राम्हण कौड़िन्य, वप्प, आंज, अस्साजि, भद्धय नाम से थे | बुद्ध के दो प्रधान शिष्य थे, जिनका नाम - आनंद और उपालि है | बौद्ध धर्म साहित्य में गौतम के द्वारा दिया दिए गए उपदेश को धर्मचक्रप्रवर्तन के नाम से जाना जाता है |
गौतम बुद्ध के द्वारा मागधी भाषा में उपदेश दिए, उस समय आम जनता की मागधी भाषा थी | बुद्ध के द्वारा सबसे अधिक उपदेश श्रावस्ती में दिए, जो कौशल की राजधानी थी | गौतम बुद्ध के पाँच शिष्य थे जिनके नाम - उपालि, श्रेयपुत्र, आनंद, अश्वजित, मोद्गल्यायन था | गौतम बुद्ध के प्रमुख राजवंश अनुयायी हुआ करते जो प्रमुख थे - मगध साम्राज्य के राजा बिंबिसार, कोशाम्बी साम्राज्य के राज्य उदयन, कौशल साम्राज्य के राजा प्रसेनजित | टपस्सु और कल्लिक यह दो व्यक्ति बुद्ध के पहले द शूद्र अनुयायी के रूप में जाने जाते है |
गौतम बुद्ध ने कुल 45 साल तक बौद्ध धर्म के उपदेश दिए | 80 साल की आयु यानि 483 ई.पू. को मृत्यु हुई | गौतम बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर में हुई जो मल्ल गणराज्य की राजधानी था | यह मृत्यु वैशाखी पूर्णिमा को हुई | इस मृत्यु को बौद्ध धर्म के साहित्य में महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है | बुद्ध की मृत्यु हो जाने के बाद इनके अवशेषों को आठ भागों में किया गया और इन आठ जगहों पर बौद्ध स्तूपों को बनाया गया | यह आठ स्तूप इस प्रकार है - कुशीनगर, गया, सारनाथ, लुम्बिनी, वैशाली, राजगृह, श्रावस्ती, संकास्य |
बौद्ध धर्म की विशेषताएं
1. बौद्ध धर्म में तीन रत्न थे जो बुद्ध, धम्म और संघ |
2. बुद्ध ने सभी भिक्षुओ को अष्टांगिक मार्ग पर चलने पर कहा | यह मार्ग इस प्रकार है - पहला सम्यक दृष्टि, दूसरा सम्यक वचन, तीसरा सम्यक कर्म, चौथा सम्यक संकल्प, पाँचवा सम्यक व्यायाम, छठा सम्यक स्मृति, सातवाँ सम्यक आजीव और आठवाँ सम्यक समाधि |
3. बौद्ध धर्म के सभी सिद्धांत चार आर्य सत्य पर आधारित है, इनको चत्वारिक या सत्यानि के नाम से जाना जाता है | पहला सत्य दु:ख, दूसरा सत्य दु:ख समुदाय, तीसरा सत्य दु:ख निरोध और चौथा सत्य दु:ख निरोध मार्ग़ |
4. बौद्ध धर्म में मध्यम प्रतिपदा सिद्धांत का प्रचलित था |
5. बौद्ध धर्म अवैदिक था यानि य वेदों में विश्वास नहीं करता है |
6. बौद्ध धर्म के अनुसार सृष्टि का कारण ईश्वर नहीं है यानि यह अनिश्वरवादी है और इसके साथ यह अनात्मवादी भी है |
7. लेकिन इस बौद्ध धर्म की महत्वपूर्ण विशेषता है कि पुनर्जन्म में विश्वास करते है | इस का मूल कारण अविद्या को माना जाता है |
8. बौद्ध धर्म में कर्म को मानते है |
9. बौद्ध धर्म के धार्मिक कम और यह सामाजिक ज्यादा है इसका प्रमुख कारण है बौद्ध धर्म का अष्टांगिक मार्ग जो तार्किक एवं प्रायोगिक पर काम करता है |
बौद्ध धर्म की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
1. गौतम बौद्ध के द्वारा शिष्यों के साथ मिल कर सारनाथ में बौद्ध संघ की स्थापना की जो चार भागों में विभाजित था - भिक्षु, भिक्षुणी, सामान्य उपासक, सामान्य उपासिका |
2. इस संघ में प्रवेश लेने के लिए व्यक्ति की न्यूनतम आयु सीमा 15 साल थी, इससे ऊपर सारे आयु वाले व्यक्ति संघ में प्रवेश ले सकते है | इस संघ में प्रवेश देने से पूर्व व्यक्ति को अपने माता - पिता से अनुमित लेना जरूरी था |
3. इस प्रकार संघ में प्रवेश लेने को बौद्ध धर्म में उपसंपदा कहा जाता था |
4. बौद्ध भिक्षुओ की आपस में धर्म की चर्चा को बौद्ध धर्म में परवाना कहा जाता था |
5. बौद्ध धर्म में सबसे पहले भिक्षुणी प्रजापति गौतमी थी, जो आंनन्द के कहने पर महिलाओ को प्रवेश दिया |
6. इस प्रकार इस बौद्ध धर्म का तिब्बत में प्रचार करने का श्रेय पद्दसंभव को है |
इस समय के साथ बौद्ध धर्म के दो प्रधान वर्ग बन के निकले, जो एक स्थविरवादी था और दूसरा महासांघिक था | इन दोनों के अलग - अलग तर्क थे | स्थविवादी मानते थे की बुद्धत्व कब को नहीं मिलता और हासांघिक मानते थे की बुद्धत्व सभी व्यक्ति को प्राप्त होता है |
आगे चल कर यह बौद्ध धर्म दो संप्रदाय में बंट गया जो एक हीनयान और दूसरा महायान हो गया | इस प्रकार भारत में बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ | समय के साथ यह बौद्ध धर्म भारत के साथ आस - पास सभी देशों में फैल गया | वर्तमान में अगर देखे तो चीन बौद्ध धर्म को मानने वाला सबसे बड़ा देश |
निष्कर्ष
बौद्ध धर्म एक गहन और व्यापक धर्म है, जो केवल धार्मिक आस्थाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन की हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान प्रदान करता है। इसके मूल सिद्धांत आज भी लोगों को जीवन के वास्तविक अर्थ को समझने और आत्मिक उन्नति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। बहुत सारे भिक्षु घंटों भर बैठ कर ध्यान करते है और अपने एकाग्रता को बढ़ाते है, इस एकाग्रता से व्यक्ति का मानसिक विकास होता है, वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है |
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