Commentary on Vedic Civilization and Culture यानि यहाँ आपको वैदिक सभ्यता और संस्कृति की जानकारी मिलेगी | भारत के इतिहास में इस वैदिक सभ्यता का बहुत बड़ा हाथ है जो सिर्फ एक कहानी नहीं बल्कि भौतिक, विज्ञान, संस्कृति आदि क्षेत्र में विश्व में अपनी पहचान दी है | Vedic Civilization and Culture ने भारत के साथ - साथ अन्य सभ्यताओ पर किस तरह अपना प्रभाव रखा है, यह देख सकते है |
सिंधु घाटी सभ्यता के भारत बहुत ही सारी सभ्यताओं ने जन्म लिया। जिसमें प्रमुख सभ्यता है वैदिक सभ्यता। जिसको आर्य सभ्यता भी कहा जाता है। इसी आर्य या वैदिक सभ्यता में ही वेद कि रचना कि गयी थी, तभी इसको वैदिक सभ्यता कहा जाता है। आर्य समाज के लोगों के बारे पूर्ण जानकारी इन्हीं वेदो से मिलती है, किस तरह आर्य सभ्यता के लोगों का विकास हुआ, किन चीजों का आर्य सभ्यता के लोगों ने किया, उस समय धर्म कि क्या स्थिति थी।
आर्यों कि वैदिक सभ्यता
आर्यों का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद वेद को माना जाता है, जो आर्य सभ्यता के बारे में जानकारी देता है।
अलग - अलग इतिहासकारों ने आर्यों का मूल स्थान भी अलग - अलग बताया है। यूरोप के इतिहासकार आर्यों का मूल स्थान यूरोप बताते हैं, जिसमें प्रमुख इतिहासकार है सर विलियम जोन्स।
मैक्समूलर जो जर्मनी का प्रसिद्ध विद्वान हैं उसने आर्यों को मध्य एशिया का बताया है। यह कथन बहुत ही महत्वपूर्ण और सही साबित होता है। बोगजकोई अभिलेख जो मध्य एशिया से मिला है, जिस पर वैदिक देवता वरुण, मित्र, इंद्र आदि का उल्लेख मिलता है।
आर्यों का मूल स्थान
कुछ भारतीय इतिहासकारों ने भी आर्यों का मूल स्थान अलग-अलग बताया है। गंगाधर तिलक कहते हैं कि आर्य आर्कटिक प्रदेश से आए हैं, दयानंद सरस्वती कहते हैं कि आर्य तिब्बत से आए हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग ही आगे चल कर कई शाखाओं में बंट गए। जब सिंधु घाटी सभ्यता का पतन हुआ, यहां से लोग विस्थापित हुए। इसी सिंधु घाटी सभ्यता का व्यापार अरब तक हुआ करता था। इसी सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मध्य एशिया से घूमते हुए वापस भारत में आए । सिंधु घाटी के कुछ देवताओं के अवशेष हमें आर्य सभ्यता में भी देखने को मिलते हैं।
यह भी कहा जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों ने अपना धीरे-धीरे विस्थापन करके, गंगा नदी के मैदान में बसने लगे। धीरे-धीरे सब लोग अपने-अपने कबीलों में बंट कर रहने लगें।
आर्ये सभ्यता का विस्तार
लेकिन मध्य एशिया का कथन काफी हद तक सत्य है, क्योंकि इसी सिंधु घाटी सभ्यता कि एक शाखा ने मध्य एशिया में जा के बसी। सिंधु घाटी सभ्यता या सनातन धर्म का स्वास्तिक, जो जर्मनी के हिटलर कि सेना के ध्वज में था
मध्य एशिया कि शाखा के कुछ लोग यूरोप कि तरफ गए और कुछ लोग वापस भारत कि तरफ आये। जिन्होंने गंगा के मैदान में अपने घर बसाए और वेदों कि रचना की। वैदिक सभ्यता का विकास 1500 ई. पू. से 600 ई. पू. तक माना जाता है। इस आर्य सभ्यता के काल कर्म को दो भागों में बांटा गया है। जिसका पहला समय 1500 ई. पू. से 1000 ई. पू. तक है और दूसरा समय 1000 ई. पू. से 600 ई. पू. तक है। वैदिक सभ्यता का विकास मुख्यतः गंगा नदी के मैदान में हुआ ।
वैदिक सभ्यता पर टिप्पणी
वैदिक सभ्यता एक प्राचीन भारतीय सभ्यता है जिसे वेदों में वर्णित किया गया है। इस सभ्यता का स्थान भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है और यह भारतीय सभ्यता, संस्कृति, और धार्मिक धारणाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां वैदिक सभ्यता पर हैं:
धार्मिक धारणाएं: वैदिक सभ्यता में विशेषकर धार्मिक धारणाएं उच्च मान्यता में थीं। वेदों में उन्नति, ज्ञान, और धर्म के महत्व को बताया गया है।
गणित और विज्ञान का विकास: वैदिक सभ्यता में गणित, विज्ञान, और वैज्ञानिक धारणाओं का विकास हुआ। गणित में संख्या प्रणालियों, सूत्रों, और गणितीय गणित की उपयोगिता पर विशेष ध्यान दिया गया।
साहित्यिक योगदान: वैदिक सभ्यता ने साहित्य, कविता, और कथाओं में भी योगदान किया। वेदों, उपनिषदों, और पुराणों में भारतीय साहित्य का विकास विस्तार से वर्णित है।
समाजिक व्यवस्था: वैदिक समाज में समाज, परिवार, और समाजिक व्यवस्था का विकास हुआ। यहां परिवार की महत्वपूर्णता, उपाधि प्रणाली, और वर्णाश्रम व्यवस्था के विकास की चर्चा होती है।
वैज्ञानिक अनुसंधान: वैदिक सभ्यता में वैज्ञानिक अनुसंधान का विकास हुआ।
वैदिक सभ्यता का मूल स्थान -
वैदिक सभ्यता का मूल स्थान भारतीय इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। इस सभ्यता का आरंभ आर्यों द्वारा किया गया था, जो क्षत्रिय जाति के थे और संस्कृत भाषा में वेदों की रचना की थी। वैदिक सभ्यता का स्थान निम्नलिखित क्षेत्रों में था:
सिंधु घाटी सभ्यता: वैदिक सभ्यता का आरंभ सिंधु घाटी सभ्यता के उत्तरी हिस्से में हुआ था। इसका संबंध वेदों की ऋग्वेद में मिलता है।
गंगा-यमुना दोहावली: वैदिक सभ्यता का विकास गंगा और यमुना नदियों के दोहावली क्षेत्र में हुआ। यह क्षेत्र आज के उत्तर भारत का हिस्सा है।
गण्डकी नदी क्षेत्र: वैदिक सभ्यता का विकास गण्डकी नदी के क्षेत्र में भी हुआ। यह क्षेत्र नेपाल और उत्तर पश्चिम भारत के बीच में स्थित है।
द्रविड़ क्षेत्र: वैदिक सभ्यता का विकास द्रविड़ क्षेत्र में भी हुआ, जो आज के दक्षिण भारत का हिस्सा है।
वैदिक सभ्यता का विकास और वृद्धि उन समयों में हुई जब वेदों का रचनात्मक और धार्मिक विचार प्रमुख था। इस सभ्यता ने भारतीय संस्कृति, धर्म, समाज, और विज्ञान को बहुतायत विकसित किया। वैदिक सभ्यता के प्रमुख ग्रंथ वेद हैं, जो मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हैं।
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