लड़कियों को पुरुषों के समान समाज में शिक्षा प्राप्त करने और उनको समानजन जीवन जीने के लिए आज भी संघर्ष करना पड़ता है | एक तरफ राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में महिलाओ ने नातरा - झड़गा कुप्रथा (Natra Jhagda Pratha) के खिलाफ उठ खड़ी हुई और करीब 276 लड़कियों का पुनर्विवाह करवाया, वहीं दूसरी तरफ बिहार जैसे राज्य में गरीब परिवार की लड़कियां अपने परिवारों से लड़ कर, कम उम्र में शादी न करके, फुटबॉलर बन रही है |
यहाँ आपको राजस्थान और मध्य प्रदेश में झगड़ा कुप्रथा और बिहार के पटना जिले से दूर - दराज गरीब परिवारों की लड़कियों के संघर्ष के बारे में पढ़ने को मिलेगा | किस तरह यह महिला या लड़कियां समाज में अपने वजूद के लिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए लड़ती है | समाज जो विभिन्न प्रकार की सोच और कुप्रथा रखता है, इनसे यह महिला या लड़कियां किस तरह ऊपर उठ कर, विभिन्न प्रकार की परेशानियाँ से निकलती है |
झगड़ा कुप्रथा
राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्यों की सीमाओ के कुल 30 जिले यानि राजस्थान के 10 जिले और मध्यप्रदेश के 20 जिलों में यह झगड़ा कुप्रथा है | इस प्रथा को नातरा - झगड़ा कुप्रथा (NATRA AND JHAGRA KUPRATHA) भी कहा जाता है | राजगढ़, आगरा,, गुना आदि जिलों में यह प्रथा चल रही है | इस प्रथा में शादी को तोड़ने पर पंचायत के द्वारा हर्जाना मांगा जाता है | यह केवल महिलाओ पर ही लागू था | इस लिए महिलाओ को शादी के तोड़ने पर इस प्रथा का समान करना पड़ता है |
जिन बच्चों की बचपन में सगाई या शादी हो जाती है, फिर यह बड़े हो जाते है तो रिश्ता तोड़ते है, तो इस परिवार के द्वारा समाने वाले को चिट्ठी लिख पर बताते है | फिर पंचायत के द्वारा रिश्ता तोड़ने वाले परिवार से हर्जाना लिया जाता है और पूरे गाँव पर दबाव बनाया जाता है |
नातरा - झगड़ा कुप्रथा के खिलाफ संघर्ष
मध्यप्रदेश और राजस्थान के इन 30 जिलो की कुल 1600 से ज्यादा महिलाओ ने नातरा - झगड़ा कुप्रथा (NATRA AND JHAGRA KUPRATHA) के खिलाफ पंचायत से संघर्ष करके, ऊपर उठ रही है और 276 से ज्यादा लकड़ियों की दुबारा शादी करवा दी है | इन सभी महिलाओ ने अगल - अलग क्षेत्रों में अगल - अलग समूह बनाये है | पहले यह महिलाएं राजीनामे की तरह मानती है, अगर समाने वाले नहीं मानते है, तो वह उनके खिलाफ जाती है और कानून तक यह महिला इनसे संघर्ष करती है | वर्तमान में इस संघर्ष का नेतृत्व मोना सुस्तानी कर रही है |
भँवरीबाई, जो अपने पति की मारपीट से परेशान हो कर, मायके चली आई, लेकिन पति के द्वारा हर्जाना मांगने पर, केस कर दिया | इस भँवरी ने सुशील नाम की एक और महिला का साथ दिया और पंचायत के खिलाफ हो गयी, तो इसके मायके वालों ने भँवरी का साथ छोड़ दिया और रखने से मना कर दिया | एक और महिला जिसका नाम ऋतु है, इसके पति ने 50 लाख का हर्जाना मांग, इसने एफआईआर कर दी, फिर सुसराल वालों ने राजीनामा किया |
मूल्यांकन
नातरा - झड़गा कुप्रथा (Natra Jhagda Pratha), जो महिलाओ को सुसराल वालों को दिया जाने वाले एक हर्जाना है | यह हर्जाना पति के द्वारा पंचायत से मांगा जाता है | विशेष कर महिलाओ के द्वारा शादी को तोड़ने पर दिया जाता है, नहीं तो शादी के बाद ससुराल वालों की तरफ से दी जाने वाली यातनों को झेलना पड़ता है | इस लिए समाज की महिला ही स्वयं खुद इस समाज की प्रथा और पंचायत के खिलाफ खड़ी हो गयी है | समाज में महिलाओ को अपने अनुसार जीने का हक देने के लिए बहुत सारी महिलाएं लड़ रह है | पंचायत के जोर पड़कने पर यह कानून का भी सहारा लेती है | ताकि यह किसी प्रकार का हर्जाना नहीं देना पड़े |
समाज में महिलाओ को भी पुरुषों के बराबर जीने का हक है और इसके लिए नातरा - झड़गा कुप्रथा (Natra Jhagda Pratha) जैसी कुप्रथाओ को बंद करना पड़ेगा और हर परिवारों को बहु को अपनी बेटी के समान समझना पड़ेगा | तभी इस प्रकार की यह प्रथा बंद होगी |
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