भारत अपनी आबादी में दुनिया में दुसरे स्थान पर है। दुनिया का 17% भारतीय है। अब आप समझ सकते हैं कि अगर इस का 1% भी किसी दुसरे देश में जाए, तो उस देश में इसका हर क्षेत्र में प्रभाव दिखेगा।
वैसे भी भारतीय कनाडा, UK और अमेरिका में अपनी पहचान बना चुके हैं। नीचे से लेकर ऊपर तक किसी भी पद पर अपना प्रभाव दिखा चुके हैं। कनाडा और UK में पहले से ही अपनी पहचान बनाई हुई है। यूनाइटेड किंगडम में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक बने हैं। जो पहले से ही यूनाइटेड किंगडम कि सरकार के मंत्रीमंडल में थे।
हालांकि इन देशों कि ये खबर पुरानी हुई है क्योंकि कि कनाडा और UK में पहले से ही सरकारों में भारतीय मूल के लोग सामिल थे। अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों का प्रभाव बढ़ रहा है। बाइडेन सरकार में उप राष्ट्रपति के पद पर पहुंचने वाली कमला हैरिस भारतीय परिवार से हैं। लेकिन अब होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय का कद बढ़ा है।
इस बार कहा जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय बनाम भारतीय हो सकता है।
विकसित देश के प्रति किसी भी व्यक्ति का मन जाने को करता है। भारत में कम सैलरी कि वजह से कई लोग बाहर दुसरे देशों में जाते हैं। इस बार सर्वाधिक आंकड़ा रहा है, भारतीय का।
अमेरिका में भारतीय
अमेरिका में भारतीय प्रवासी 45 लाख के पास है। यानी अमेरिका कि कुल आबादी का 1.35 फीसदी है। यह आंकड़ा अमेरिका कि इकोनामी में 6% योगदान है। जो बहुत ही महत्वपूर्ण है। 1980 में भारतीय का अमेरिका जाने का सिलसिला बढ़ा, जो वर्तमान में सर्वाधिक है। 1980 में 3.61 लाख भारतीय अमेरीका गए, लेकिन 2020 में 44.60 लाख भारतीय अमेरीका में गये। 40 सालों में अमेरिका जाने वाले भारतीय का 90% ज्यादा हुआ है। यह 57% कि दर से बढ़ा है। ( स्रोत- यूनाइटेड स्टेट सेंसन )
अमेरिका ने हमेशा टैलेंट कि इज्जत कि है। टैलेंट व्यक्ति को अमेरिका ने बहुत डाॅलर दिए हैं। इसी वजह से वर्तमान अमेरिका में बसे भारतीयों घरों कि आय, अमेरिकी घरों कि औसत आय से ज्यादा है। अमेरिकी घरों कि औसत आय सलाना 66 हजार डॉलर है, वही भारतीय मूल के अमेरिकी घरों कि औसत आय सलाना 1.32 लाख डॉलर है। यही कारण है कि भारतीय अपना टैलेंट लेकर अमेरिका जाते हैं।
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अमेरिका में जाने का उद्देश्य
यहां से जाने वाले भारतीय आम तौर पर शिक्षा के लिए जाते हैं। वहां शिक्षा के साथ अपने टैलेंट को डाॅलर में कमाने लगते हैं। और यह जरूरी भी है, अगर वहां हमेशा जा के सिर्फ शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं तो घरवालें इतने रूपए नहीं है दे पाएंगे। इस लिए शिक्षा के साथ कमाना भी बहुत जरूरी है।
प्रमुख अमेरिकी कंपनियों पर भारतीय है। जैसे गुगल के सीईओ सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, अडोबी के सीईओ शांतनु, आईबीएम के सीईओ अरविंद कृष्णा, वर्ड बैंक के सीईओ अजय सिंह बंगा है। इनके टैलेंट और मेहनत ने यहां पहुंचाया है।
भारत का स्वरूप
बदलते इस समय में, पूरी दुनिया में भारत जैसा रूप, भारत कि भाषा और भारत कि विश्व राजनीति और संबंध, किसी के पास नहीं। जिस तरह भारत धीरे-धीरे अपने विकास के पथ पर बढ़ रहा है वैसे-वैसे पूरे विश्व में अपनी पहचान बना रहा है।
भारत कि अब आबादी दुनिया में सबसे अधिक है, लेकिन भारत कि सरकार इस विषय पर कोई प्रश्न नहीं उठा रही है और न ही कोई विचार कर रही है। इस समय भारत में रोजगार बढ़े हैं लेकिन लोग अच्छा पैसा कमाने के लिए दुसरे देशों में जाते हैं । वही भारत कि उन देशों में ताकत बनती है। सऊदी अरब भले ही विकसित देश में हैं लेकिन उस देश में जो मजदूर है वो अधिकतर भारत के है।
मूल्यांकन
इस लिए इन विकसित देशों में मजदूर वर्ग बहुत ही मायने रखते हैं। कोई देश कितना भी अमीर बन जाये, अगर उस देश में किसी एक देश की लोग काम में ज्यादा लगे हैं, तो उस देश से संबंध फिर उसी के अनुसार बनेंगे। इस लिए भारत कि बढ़ती जनसंख्या अभी के समय के लिए अच्छी साबित होगी।
अब अमेरिका जिस तरह 90सी के दशक में अपनी दादागिरी दिखाता था, अब वह समय बदल गया है क्योंकि भारत जिस तरह एक भौगोलिक महत्व रखता है उसी तरह भारत अब आर्थिक महत्व भी रखता है। अमेरिका अपनी राजनीति को पूराने तरीके कि तरह रखना चाहता है इस लिए उसने भारत कि तरह दोस्ती का हाथ बढ़ाया।
इसी अमेरिका ने जब भारत ने पोकरण परिक्षण किया था, तब भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाये थे । चीन कि मजबूत आर्थिक स्थिति बनने के बाद अमेरिका ने भारत कि तरफ रूख किया। दूसरा अमेरिका में रहने वाले भारतीय न सिर्फ अमेरिका में रह रहे हैं बल्कि वे हर क्षेत्र में आर्थिक तौर पर महत्व रखते हैं। राजनीति में आप देख सकते हैं कि तरह भारतीय मूल के लोग राष्ट्रपति पद तक चुनाव लड़ने कि योग्यता रखते हैं।
समय के साथ अमेरिका ने अपनी राजनीति को बदला। खुद का वर्चस्व रखने के उसे झुकना सही समझा। भारत के होनहार युवाओं के लिए अमेरिका ने अच्छी जगह दी है। वे अमेरिका को आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। भारत के युवा भी एक अच्छी जिंदगी कि तलाश में अमेरिका कि तरफ रूख करते हैं।
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