इंसान अंदर से मजबूत होना चाहिए
भीतर से ताकत, जिसे अक्सर आंतरिक शक्ति कहा जाता है, वास्तव में व्यक्तिगत विकास और लचीलेपन के लिए एक महत्वपूर्ण गुण है। आंतरिक शक्ति में मानसिक और भावनात्मक दृढ़ता, विपरीत परिस्थितियों से निपटने की क्षमता और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी ठोस निर्णय लेने की क्षमता शामिल है। यह भावनात्मक रूप से लचीला होने, आत्म-विश्वास रखने और सकारात्मक मानसिकता बनाए रखने के बारे में है।
आत्मविश्वास कि शक्ति
आंतरिक शक्ति विकसित करने से व्यक्तियों को साहस और दृढ़ संकल्प के साथ जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में मदद मिल सकती है। यह एक ऐसा गुण है जो लोगों को बाहरी दबावों या कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति सच्चा रहने की अनुमति देता है। आंतरिक शक्ति के निर्माण में अक्सर आत्म-चिंतन, सचेतनता, आत्म-देखभाल और जरूरत पड़ने पर सहायता मांगने जैसे अभ्यास शामिल होते हैं। यह व्यक्तिगत भलाई और जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए एक मूल्यवान गुण है।हर इंसान को किसी को खोने डर रहता है या कोई अच्छा इंसान उसे छोड़ देता है। सबसे बड़ी बात जो आज के समय चलती है, कोई online होकर भी आपके मैसेज का reply नहीं देता है या देती है। कोई भी इंसान इन एहसासों से गुजरता है। इस लिए हर इंसान को अपने अंदर एक मजबूती लानी चाहिए। क्योंकि इसी मजबूती बगैर वो इंसान जिंदा लाश के समान है।
आज के समय कि दुनिया
आज कि यह सोसल मीडिया जितनी जल्दी चलती है, उससे भी जल्दी यहां लोगों बदल जाते हैं। दूर जो लोग बैठे हैं उनसे प्यार भर भर करेंगे, जो नजदीक है, उनको हाल साल तक नहीं पूछेंगे। इस लिए आपकों भी अपने जो पास है उनका ध्यान रखना है। जिस इंसान को उसके जन्मदिन पर भर भर के मैसेज आते हैं, अक्सर वही इंसान, उन्हीं के बीच अकेला होता। इंसान चाहे कैसा भी हो, जब तक उसका व्यवहार पता नहीं चलता, तब तक उसके बारे में कुछ कहना ग़लत होता है।
रही बात इंसान अंदर से मजबूत कैसे बने, सामान्य बात कहूं कि किसी के आने का इंतजार मत रखो और किसी के जाने का समय मत देखों। कोई आ रहा है तो समझों, उसका कोई काम होगा या फिर वो कुछ समय ठहरने आया है। इस दुनिया में कोई हमेशा के लिए नही बनता है, सिवाय भगवान के। इस लिए इस चलती दुनिया को चलने है, अपना हमेशा के लिए जो अपने पास है, उसे अपने भगवान को दे।
प्रश्न उठता है कि भगवान कौन है? बात भी सही, भगवान वो होता है अपने शिष्य का कभी बूरा नहीं नहीं करता । जैसे माता-पिता, अपनी संतान के बारे में कभी ग़लत नहीं सोचती है और न ही ग़लत होने देती है। असल में माता पिता ही इंसान के असली भगवान होते हैं । अगर तुम किसी और का ध्यान लगा रहे हो तो, वो तुम्हारा अपना विचार है, तुम उसमें अपना भगवान दिखता है तो कोई गलत नहीं है।
खुद का काम में व्यस्त रखो
पल भर के लिए कोई इंसान अगर खाली बैठता है तो उसके दिमाग में हजारों ख्याल आते हैं। इन्हीं ख्यालों में वे सबसे पहले ख्याल आते हैं जो बिल्कुल नकारात्मक होते हैं, उन्हीं को वह सोचने लग जाता है और अपना समय तथा दिमाग दोनो के हाल बूरा कर लेता है, इस जब खाली बैठो, आपको वहीं सोचना है जिसमें आपका उद्देश्य हो या फिर सकारात्मक सोचना है जो आपके साथ सही हुआ। बहुत बार इंसान के सही चीजें हो जाती है जो वह कभी सोचता भी नहीं है। इसके साथ ही अगर आप किसी दुसरे के बारे में सोच रहे हो तो सही ही सोचे। आज के समय में उनके साथ बहुत जल्दी गलत हो जाता है जो लोग किसी और के बारे में गलत सोचते हैं ।
इस लिए जो इंसान दुसरे के बारे में कभी ग़लत नहीं सोचता, उसी के साथ सही ही होता है। इंसान को अपने अंदर शुद्ध विचार लाने चाहिए। जो दिल और दिमाग से पूर्णतः शुद्ध है, भगवान उसी के पास रहते हैं और हमेशा उसके साथ अच्छा होता है। लेकिन यह भी बात याद रखना कि उसी इंसान के जीवन में समस्या ज्यादा आती है। इस लिए इंसान को अपने सत्य के मार्ग को कभी मत छोड़ना चाहिए, चाहे कितना भी बूरा क्यों न हो। आखिर विपरीत परिस्थितियों में ही पता चलता है इंसान को, कि उसके साथ कौन रहता है।
मूल्यांकन
जितनी कोशिश हो, इंसान को किसी भी समस्या का सामना अकेला करना चाहिए। साथ उन्हीं का ले, जो साथ देने के बाद तुम्हें ऊपर कोई एहसान न आज़माएं। कोई दिल का करीबी हो, न ही तो अकेले ही चले। यहां सब के अपने-अपने रास्ते हैं, सब कि अपनी अपनी मंजिल है। इस लिए किसी के साथ होने या न होने का कोई फर्क मत पड़ने देना। कोई कितना भी अच्छा इंसान क्यों न हो, वो आपके साथ उतना ही ठहराता है जितनी उसको जरूरत होती है। आज के समय में कोई फालतू इंसान नहीं है। इस लिए जो इंसान अपने अंदर से, अपने विचारों में, अपने उद्देश्य में मजबूत है, उसे कोई हरा नहीं सकता। अपने लक्ष्य तक उसे कोई भटका नहीं सकता ।
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