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New ISRO Chairman डॉ वी नारायणन बने, भारतीयों को चाँद पर ले जाएंगे |

 New Indian Space Research Organisation (ISRO) Chairman डॉ वी नारायणन को बनाया गया | यह एक भारतीय क्रायोजेनिक इंजीनियर और रॉकेट वैज्ञानिक है | यह चंद्रयान 3 के सूत्रधार थे, अब भारतीयों को चाँद पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है | डॉ वी नारायणन जो इसरो के वर्तमान चेयरमैन एस. सोमनाथ की जगह प्राप्त करेंगे | यहाँ आप इसरो के नए चेयरमैन डॉ वी नारायणन  के बारे में जानकारी प्राप करंगे | किन - किन संघर्षों के साथ यह आज इस पद पर पहुंचे है और भारतीयों वैज्ञानिक विकास में इनका कितना योगदान रहा है देख सकते है |

डॉ वी नारायणन  ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष पद को 14 जनवरी 2025 को संभाला है | इनके संघर्ष में देखे तो इनके घर पर बिजली नहीं थी लेकिन स्कूल में 10वीं की परीक्षा में टॉप किया था | इनके बचपन से लेकर इसरो के अध्यक्ष तक इनकी मेहनत, संघर्ष को पढ़ सकते है और इनके रोचक किस्से जो भी पढ़ने को मिलेंगे | 

डॉ वी नारायणन का शुरुआती जीवन 

वर्तमान समय में बच्चों की पढ़ाई के लिए बहुत सारी सुविधाओ को दिया जा रहा है लेकिन डॉ वी नारायणन के समय देखा जाए तो घर पर बिजली भी होना एक नया अजूबा था | डॉ वी नारायणन का जन्म 14 मई 1964 को तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी जिले के मेलकट्टुविलाई गाँव में हुआ था | इनके पिता सी. वन्निया पेरुमल और माता एस. थंगम्मल जो नारियल व्यापारी थे | इनके कुल छह बच्चे थे इनमें डॉ वी नारायणन सबसे बढ़े है | यह अपने पिता के नारियल की दुकान पर मदद करते थे | इनकी स्कूली पढ़ाई को देखा जाए तो कीझा कट्टुविलाई की सरकारी स्कूल में 5वीं तक पढ़ाई की, फिर ज़ियोनपुरम के एलएमएस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से 10वीं तक पढ़ाई की | वी नारायणन  के घर पर बिजली नहीं थी | जब यह 10वीं में आए तो बिजली आई और 10वीं में टॉप किया | 

साल 1982 में डीएमई (मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा) को पहली रैंक से पास किया | बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग कोर्स के प्रवेश लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत थी और इनका भाई भी प्रवेश ले रहा था, इसलिए अपने भाई को प्रवेश दिला कर खुद ने फिर दूसरी कंपनियों में काम किया | इसके बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपना एएमआईई कोर्स को पूरा किया | डॉ वी नारायणन  ने साल 1989 में IIT खड़गपुर से एमटेक को क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग से पहली श्रेणी से पास किया | 

60 वर्षीय भारतीय क्रायोजेनिक इंजीनियर और रॉकेट वैज्ञानिक डॉ वी नारायणन की एक बेटी है दिव्या और एक बेटा है कालेश | इनकी पत्नी का नाम है कविता | इन्होंने क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एमटेक करने के बाद पीएसडी भी की थी | डॉ वी नारायणन ने कभी नहीं सोचा था कि वे वैज्ञानिक बने | इनके पिता चाहते थे कि डॉ वी नारायणन पॉलिटेक्निक बने और घर की आर्थिक स्थिति को संभाले | इनके पिता के विचारों से डॉ वी नारायणन ने 10वीं के बाद पॉलिटेटेक्निक जॉइन किया था | 


डॉ वी नारायणन का रोचक किस्सा और इसरो जॉइन 

मद्रास में एक रबड़ कंपनी ने तमिलनाडु के टॉप  पॉलिटेक्निक Students का बायोडाटा निकाला गया और इन Students को कॉल सेंटर भेज दिए | कुल 27 Students को इस कंपनी ने Interview के लिए बुलाया था और इनमें से 3 स्टूडेंट्स को Select किया था | इन तीनों में से एक डॉ वी नारायणन थे | यहीं नौकरी करने के चार सप्ताह बाद डॉ वी नारायणन ने बीएचईएल को जॉइन किया था | यहीं से इसरो के साथ जुडने की कहानी बनी | साल 1984 में डॉ वी नारायणन ने इसरो को जॉइन किया था | 

डॉ वी नारायणन में जुनून बहुत भरा था | एक किस्सा है आईआईटी खड़गपुर का | इसके डायरेक्टर ने कहा कि जिन Students के 9 सीजीपीए से अधिक होगा, उनको सिल्वर मेडल दिया जाएगा | इसके बाद डॉ वी नारायणन ने खूब मेहनत की और पहली रैंक प्राप्त कर, यह मेडल प्राप्त किया | 

इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन अपने एक इंटरव्यू में डॉ वी नारायणन के बारे मे कहते है कि हम दोनों गाँव से और गरीब परिवार से आते है | दोनों ने तमिल माध्यम से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की और कड़ी मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचे है |  

डॉ वी नारायणन की उपलब्धियां 

डॉ वी नारायणन से जुड़ी वो उपलब्धियां जो ये खुद को ही नहीं बल्कि विश्व में भारत का नाम रोशन किया है | डॉ वी नारायणन को रॉकेट से संबधित टेक्नोलॉजी के कारण एएसआई अवार्ड प्राप्त किया है | यह इसरो के साथ यह डॉ. नारायणन स्पेस के कमीशन के भी अध्यक्ष होंगे | 

डॉ वी नारायणन के जीवन से सबसे बढ़ी सफलता है वह है चंद्रयान 3, जो चंद्रयान 2 की असफलता को बता कर, चंद्रयान 3 को सही जगह पर उतारा गया | 

डॉ वी नारायणन के अब अध्यक्ष बनने के बाद इनका सबसे बड़ा लक्ष्य होगा गगनयान 1, यह एक मानव रहित टेस्ट है, यह अंतरिक्ष में मानव मिशन के लिए काम करेगा | इसके साथ चंद्रयान 4, यह मून मिशन है | इसके साथ इनका एक और लक्ष्य है वह है, अंतरिक्ष मे भारत का अपना स्टेशन बनाना है | 

मूल्यांकन 

डॉ वी नारायणन जो एक गरीब और किसान परिवार से आते है | लेकिन इनकी मेहनत को देखा जाए तो हर व्यक्ति के जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कुछ भी असंभव नहीं है | जिदंगी में हम तय क्या करते है और हो क्या जाता है, यह तो अपने को होने के बाद पता चलता है | इस लिए जीवन मे जो भी कार्य है, वे अपने मन से करते रहे |



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